उत्तर प्रदेश में 2022 के विधान सभा के चुनावो में अब मूर्तियां सियासत में बड़ा मुद्दा बनती जा रही है। समाजवादी पार्टी हो ,बहुजन समाज पार्टी या कांग्रेस हो या फिर बीजेपी मंदिर के मुद्दे से हटकर अब मूर्तियों पर सियासत करने में लगी हुए है। अब हालत ये है की 2022 के विधानसभा चुनाव में यूपी में मूर्ति बड़ा मुद्दा बन जाएगा और यह सब शुरू हुआ उस ऐतिहासिक दिन को जब मंदिर का शिलान्यास हुआ। यह भी पढ़ें : जानें कौन हैं बाहुबली विधायक विजय मिश्रा
जिसके बाद अचानक से विपक्षी पार्टियों का मूर्ति प्रेम जाग उठा जिसके बाद सबसे पहले समाजवादी पार्टी से परशुराम की 108 फीट ऊंची मूर्ति की बात हुई जिसमें समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने कहा कि वह यूपी में सबसे बड़ी मूर्ति परशुराम की उत्तर प्रदेश में लगाएंगे फिर उसके जवाब में बसपा कहां चुप रहने वाली है सपा पर निशाना साधते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि परशुराम की मूर्ति तो अब बसपा लगवायेगी।
अब इसी के बाद कांग्रेस ने भी अपना दांव खेला और कह डाला कि परशुराम जयंती की छुट्टियां उत्तर प्रदेश सरकार ने जो कैंसिल की थी उसे फिर से शुरू किया जाएगा।
अब सारी विपक्षी पार्टियां परशुराम की मूर्ति के पीछे पड़ गई है इसके पीछे की क्या वजह है यह हम आपको बता दें कि राम मंदिर का भूमि पूजन इसकी अकेली वजह नहीं है इन दिनों उत्तर प्रदेश में लगातार जो एनकाउंटर हो रहे हैं मुठभेड़ हो रही है उनमें ज्यादातर निशाने पर ब्राम्हण समाज के लोग आ रहे हैं और और वही ब्राह्मण बताया जाता है कि वह बीजेपी से ख़फ़ा है। यह भी पढ़ें :भारत मे कोरोना दस्तक के 6 महीने पूरे, जानें कितना सफल हुआ भारत
विकास दुबे के मामले के बाद सियासत की चाल चली शुरू हो गयी और सियासी गलियारों में तमाम बाते होना शुरू हो गयी है। परशुराम ब्राह्मणों के पूजनीय है इसी के चलते अखिलेश यादव मायावती और प्रियंका गांधी तीनों ने एक-एक करके ब्राह्मणों को लुभाने के लिए परशुराम की मूर्ति की बात शुरू कर दी है और अब मुद्दा यहीं पर नहीं रुका अब राम मंदिर के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों को लगता है कि बीजेपी के हाथ बड़ा सियासी पत्ता लग गया है समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ये भी कह डाला कहा कि परशुराम की मूर्ति के बाद वो सैफई में सबसे बड़ी कृष्ण की मूर्ति लगवाने हालांकि वो पहले से ही मूर्ति को लगवाने की बात कह चुके हैं लेकिन कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर अखिलेश यादव ने टवीट कर फिर बता डाला यानी की मूर्ति पर एक बार फिर से सियासत शुरू हो गई है।
साल 2022 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव है और तब तक मंदिर बनने वाले कगार पर होगा उस दौरान अगर इनके पास किसी भगवान को लेकर कोई दाव नहीं होगा तो शायद उनके लिए मुश्किल बढ़ सकती है इसके लिए पहले से ही विपक्षी पार्टियों ने जमीन तैयार करनी शुरू कर दी है पहले भगवान परशुराम और भगवान श्री कृष्ण के बारे में बात करके विपक्षी पार्टियों ने साफ कर दिया है कि वह भी मूर्ति के मामले में पीछे नहीं रहने वाले हैं राम मंदिर के मुद्दे पर सत्ता में आई बीजेपी देखते हुए विपक्ष ने भी धर्म को एक हथियार बना लिया है।
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