कंगना के पास ट्विटर अकाउंट रखने और उस पर अपने विचार प्रस्तुत करने का है अधिकार: बॉम्बे हाई कोर्ट
कंगना के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट ने कंगना के लिए राहत की खबर सुनाई है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि अभिनेत्री कंगना रनौत के पास ट्विटर अकाउंट रखने और उस पर अपने विचार प्रस्तुत करने का अधिकार है। बता दें कि कंगना के आपत्तिजनक ट्वीट्स के आरोप में उनके खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज की गई थी, जिस पर बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई थी।
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सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता अली कासिफ खान देशमुख से सवाल किया कि कंगना के ट्वीट्स ने कैसे उन्हें व्यक्तिगत चोट पहुंचाई है और उनके मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन किया है। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एमएस कार्निक ने महाराष्ट्र सरकार के वकील जयेश यागनिक से कहा कि इस याचिका को जनहित याचिका में बदलने की जरूरत है, नहीं तो ज्यादा से ज्यादा लोग अखबार पढ़ेंगे और ये कहते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे कि वो दुखी हैं। बेंच ने कहा कि संवैधानिक अधिकार और संवैधानिक निदान दो अलग मुद्दे हैं। यह एक अस्पष्ट याचिका है।
वहीं याचिकाकर्ता अली कासिफ देशमुख ने कोर्ट से कहा कि मैं मराठी और मुंबईकर हूं। कंगना ने हमें पप्पू सेना कहा और वो मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। याचिकाकर्ता ने कहा कि कंगना रनौत दो समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाने का काम कर रही हैं और कंगना के ट्वीट के माध्यम से उनके धर्म को ठेस पहुंच रही है। इस पर जस्टिस शिंदे ने याचिकाकर्ता से कहा कि कोई भी व्यक्ति ट्विटर पर अकाउंट बना सकता है और उस पर अपने विचार रख सकता है तो तुम्हें दिखाना होगा कि कैसे तुम्हारे मूलभूत अधिकारों पर प्रहार हुआ है।
कोर्ट के बयान पर याचिकाकर्ता ने कहा कि फ्री स्पीच और हेट स्पीच में अंतर होता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि मेरी याचिका में यह स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि कंगना के ट्वीट्स ने कितनी बार मेरी निजी भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। कंगना रनौत के खिलाफ कई कोर्ट्स में मामले दर्ज हैं। इसके अलावा कंगना के ट्वीट्स की वजह से मुझे मानसिक तौर पर यातनाओं से जूझना पड़ रहा है।
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बॉम्बे हाई कोर्ट अब याचिकाकर्ता अली कासिफ देशमुख की याचिका पर सात जनवरी को सुनवाई करेगा। बता दें कि इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट शिवसेना सरकार और बीएमसी को फटकार लगा चुका है। दरअसल, बीएमसी ने कंगना रनौत के पाली हिल्स पर स्थित ऑफिस को गैरकानूनी करार कर तोड़ने की कोशिश की थी।
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